Thursday, November 06, 2008

पुकारता भारतवर्ष

सप्तसिंधु के जल में बहता

सह्याद्रि के संग लहराता

त्रयसमुद्र के तटसे निर्भय

पुकारता भारतवर्ष है

 

वर्तमान का समय है चंचल

तत्त्व हमारे अटल हिमाचल

भविष्य गाये जीत हमारी

आज यदी संघर्ष है

 

धर्मनीती मे रामप्रभुजी

योगेश्वर है राजनीत मे

देशहीत मे गुरु चाणक्य

सदा हमारे आदर्श है

 

विजय निश्चित देशसमर्पित

पथकंटक भी पुष्पसमान

मातृभुमी का गीत है मन मे

कर्तव्य मे ही हर्ष है

 

कर्म हमारा उत्तरदायित्त्व

कर्म ही जीवनमार्ग है

बीज भी कर्म, कर्म ही फल है

कर्म ही परामर्श है

 

सुमोद पावगी

११/०५/२००८

1 Comments:

At 2:52 AM, Anonymous remote sensing services said...

Nice poem!!
regards
Heads up digitization

 

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