पुकारता भारतवर्ष
सप्तसिंधु के जल में बहता
सह्याद्रि के संग लहराता
त्रयसमुद्र के तटसे निर्भय
पुकारता भारतवर्ष है
वर्तमान का समय है चंचल
तत्त्व हमारे अटल हिमाचल
भविष्य गाये जीत हमारी
आज यदी संघर्ष है
धर्मनीती मे रामप्रभुजी
योगेश्वर है राजनीत मे
देशहीत मे गुरु चाणक्य
सदा हमारे आदर्श है
विजय निश्चित देशसमर्पित
पथकंटक भी पुष्पसमान
मातृभुमी का गीत है मन मे
कर्तव्य मे ही हर्ष है
कर्म हमारा उत्तरदायित्त्व
कर्म ही जीवनमार्ग है
बीज भी कर्म, कर्म ही फल है
कर्म ही परामर्श है
सुमोद पावगी
११/०५/२००८
1 Comments:
Nice poem!!
regards
Heads up digitization
Post a Comment
<< Home